Mahila Rojgar Yojana 2025 : महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएँ

भारत में महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को रोजगार(Mahila Rojgar Yojana) के नए अवसर प्रदान करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। महिला रोजगार योजना केवल एक आर्थिक पहल नहीं, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी है।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएँ बनाई गई हैं। इनमें से कुछ योजनाएँ महिला उद्यमिता को बढ़ावा देती हैं, तो कुछ उन्हें कौशल प्रशिक्षण और रोजगार उपलब्ध कराती हैं।
महिला रोजगार योजना क्या है?
महिला रोजगार योजना एक ऐसी सरकारी पहल है जो महिलाओं को स्वरोजगार, कौशल प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के जरिए आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य महिलाओं को नौकरी के लिए दूसरों पर निर्भर न रखते हुए खुद का व्यवसाय या काम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इस योजना के तहत महिलाओं को लोन, सब्सिडी, प्रशिक्षण और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसी सुविधाएँ दी जाती हैं। खासकर ग्रामीण महिलाएँ जो पारंपरिक कार्यों तक सीमित थीं, अब इन योजनाओं के माध्यम से अपना व्यवसाय खड़ा कर सकती हैं।
महिलाओं के लिए प्रमुख सरकारी योजनाएँ
भारत सरकार और राज्य सरकारों ने महिलाओं के लिए कई रोजगार योजनाएँ शुरू की हैं। कुछ प्रमुख योजनाएँ इस प्रकार हैं:
1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) – महिला उद्यमी के लिए
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Pradhan Mantri Mudra Yojana) 2015 में शुरू की गई थी। इसका मकसद है कि छोटे व्यापार और स्वरोजगार शुरू करने वालों को बिना गारंटी के लोन उपलब्ध कराया जाए। खासतौर पर महिलाओं को इसमें प्राथमिकता दी जाती है।
इस योजना में लोन की तीन श्रेणियाँ बनाई गई हैं –
- शिशु (₹50,000 तक) – छोटे व्यवसाय शुरू करने वालों के लिए।
- किशोर (₹5 लाख तक) – व्यवसाय का विस्तार करने वालों के लिए।
- तरुण (₹10 लाख तक) – बड़े स्तर का बिज़नेस शुरू करने वालों के लिए।
महिलाएँ इस लोन से सिलाई-कढ़ाई केंद्र, ब्यूटी पार्लर, डेयरी फार्म, बेकरी, पापड़-पापड़ बनाना, जूट बैग, अगरबत्ती और अन्य छोटे उद्योग शुरू कर सकती हैं।
👉 इस योजना में महिलाओं को ब्याज दर पर भी छूट दी जाती है और सबसे बड़ी राहत यह है कि किसी प्रकार की जमानत (Collateral) की जरूरत नहीं पड़ती। इससे ग्रामीण और मध्यमवर्गीय महिलाएँ भी आसानी से उद्यमी बन सकती हैं।
2. स्टैंड अप इंडिया योजना (Stand-Up India)
यह योजना 2016 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य SC/ST वर्ग और महिलाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना है। इस योजना के तहत महिलाओं को 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का लोन दिया जाता है।
इस लोन का उपयोग महिलाएँ मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग या सर्विस सेक्टर में नया व्यवसाय शुरू करने के लिए कर सकती हैं। शर्त यह है कि व्यवसाय नया होना चाहिए (ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट)। इसके अलावा, कुल पूँजी का कम से कम 10% हिस्सा महिला उद्यमी को खुद लगाना होता है।
👉 महिलाएँ इस योजना से फूड प्रोसेसिंग यूनिट, फर्नीचर फैक्ट्री, ब्यूटी और वेलनेस सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विस यूनिट, टेक्सटाइल यूनिट जैसी बड़ी कंपनियाँ खड़ी कर सकती हैं।
यह योजना उन महिलाओं के लिए बेहतरीन है जो छोटे व्यवसाय से आगे बढ़कर बड़े स्तर पर व्यापार करना चाहती हैं।
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3. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
PMEGP यानी प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम MSME मंत्रालय की प्रमुख योजना है। यह एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना है। इसका मतलब है कि महिलाओं को बैंक लोन पर सरकार की ओर से सब्सिडी मिलती है।
- ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 35% तक सब्सिडी
- शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 25% तक सब्सिडी
महिलाएँ इस योजना से सिलाई यूनिट, बेकरी, डेयरी, अगरबत्ती यूनिट, पेपर बैग मैन्युफैक्चरिंग, हैंडीक्राफ्ट बिज़नेस आदि शुरू कर सकती हैं।
👉 इस योजना में न केवल वित्तीय सहायता मिलती है, बल्कि प्रशिक्षण भी दिया जाता है। महिलाएँ व्यवसाय प्रबंधन, मार्केटिंग, अकाउंटिंग और डिजिटल स्किल्स भी सीख सकती हैं।
4. दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM)
यह योजना शहरी गरीब महिलाओं को स्वरोजगार दिलाने के लिए है। इसके अंतर्गत महिलाओं को स्किल ट्रेनिंग, माइक्रो-क्रेडिट (छोटा लोन) और रोजगार के अवसर दिए जाते हैं।
महिलाएँ इस योजना से रेहड़ी-पटरी का व्यवसाय, ब्यूटी पार्लर, सिलाई सेंटर, होम फूड डिलीवरी, टेलरिंग और किराना शॉप खोल सकती हैं।
👉 इस योजना के तहत महिला Self-Help Groups (SHGs) बनाए जाते हैं। समूह को बैंक से आसानी से लोन मिलता है। यदि महिलाएँ समय पर भुगतान करती हैं तो उन्हें 7% तक ब्याज सब्सिडी और 3% अतिरिक्त प्रोत्साहन भी मिलता है।
5. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM – आजीविका)
ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। इसमें महिलाएँ स्वयं सहायता समूह (SHG) के रूप में संगठित होती हैं।
इन समूहों को बैंक से आसानी से लोन मिलता है। सरकार इन लोन पर ब्याज सब्सिडी देती है, जिससे महिलाओं को केवल 7% ब्याज देना पड़ता है। कई बार समय पर भुगतान करने पर ब्याज और भी कम हो जाता है।
👉 महिलाएँ इस योजना से डेयरी फार्मिंग, बकरी पालन, सब्जी उत्पादन, अगरबत्ती और पेपर बैग बनाना, ब्यूटी पार्लर और छोटे व्यवसाय कर सकती हैं।
यह योजना ग्रामीण समाज में महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाती है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है।

6. लखपति दीदी पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह पहल शुरू की है ताकि ग्रामीण महिलाओं की वार्षिक आय ₹1 लाख या उससे अधिक हो सके।
इस योजना के तहत महिलाओं को ट्रेनिंग, फंडिंग, बिज़नेस किट और मार्केट से जोड़ने की सुविधा दी जाती है। महिलाएँ SHG के जरिए सिलाई, डेयरी, बकरी पालन, खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प और छोटे उद्योग में काम कर सकती हैं।
👉 लक्ष्य यह है कि हर गाँव में कुछ महिलाएँ “लखपति दीदी” बनें और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनें। इस योजना से महिलाएँ न सिर्फ आत्मनिर्भर बनती हैं बल्कि अपने गाँव की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती हैं।
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7. महिला ई-हाट पोर्टल– Mahila Rojgar Yojana 2025
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं के लिए महिला ई-हाट (e-Haat) नाम का ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बनाया है। यह एक डिजिटल मार्केटप्लेस है जहाँ महिलाएँ अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेच सकती हैं।
इससे महिलाओं को बाजार की चिंता नहीं करनी पड़ती और वे बिचौलियों से बचकर ज्यादा लाभ कमा सकती हैं। महिलाएँ यहाँ हस्तशिल्प, कपड़े, जूट बैग, अगरबत्ती, फूड प्रोडक्ट्स, हैंडमेड ज्वेलरी आदि बेच सकती हैं।
👉 यह पोर्टल महिलाओं को न केवल आर्थिक अवसर देता है बल्कि उन्हें डिजिटल दुनिया से भी जोड़ता है। इससे महिलाएँ ई-कॉमर्स सीखकर बड़े स्तर पर व्यापार कर सकती हैं और विदेशी ग्राहकों तक पहुँच बना सकती हैं।
8. STEP योजना (Support to Training and Employment Programme for Women)
यह योजना महिलाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण देती है ताकि वे रोजगार पा सकें या स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें।
इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को कृषि, डेयरी, बुनाई, सिलाई-कढ़ाई, फूड प्रोसेसिंग, कंप्यूटर ट्रेनिंग और हैंडीक्राफ्ट जैसी ट्रेनिंग दी जाती है।
👉 STEP योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए नेटवर्क और मार्केटिंग सपोर्ट भी उपलब्ध कराया जाता है। इससे वे आत्मनिर्भर बनती हैं और लंबे समय तक स्थायी आय प्राप्त कर सकती हैं।
9. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
यह योजना महिलाओं और युवाओं को मुफ्त ट्रेनिंग देती है।
महिलाएँ इसमें डिजिटल मार्केटिंग, आईटी, हेल्थकेयर, ब्यूटी और वेलनेस, फूड प्रोसेसिंग, सिलाई-कढ़ाई और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में ट्रेनिंग ले सकती हैं।
👉 ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सरकार की ओर से सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, जिसे देश-विदेश में मान्यता प्राप्त है। इस योजना से महिलाएँ आधुनिक स्किल्स सीखकर आत्मनिर्भर बनती हैं और जॉब/स्वरोजगार पाने में आसानी होती है।
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10. पीएम विश्वकर्मा योजना
यह योजना पारंपरिक कारीगरों जैसे बुनकर, बढ़ई, कुम्हार, लोहार, सुनार, हथकरघा कामगार, दर्जी आदि के लिए है। इसमें महिलाओं को ट्रेनिंग, टूलकिट, स्टाइपेंड और आसान लोन मिलता है।
👉 इस योजना का उद्देश्य है कि पारंपरिक हुनर को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए और इन उत्पादों को बाजार तक पहुँचाया जाए। इससे महिलाएँ अपने पारंपरिक काम को सिर्फ जीविका नहीं बल्कि एक सफल व्यवसाय में बदल सकती हैं।
11. वर्किंग वीमेन हॉस्टल योजना
यह योजना कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित रहने की सुविधा देने के लिए है। सरकार विभिन्न शहरों में किफायती दर पर हॉस्टल उपलब्ध कराती है।
👉 यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए है जो नौकरी या ट्रेनिंग के लिए अपने गाँव/शहर से बाहर जाती हैं। सुरक्षित आवास मिलने से महिलाएँ बिना किसी चिंता के काम और पढ़ाई पर ध्यान दे सकती हैं। साथ ही, हॉस्टल में बच्चों की देखभाल की सुविधा भी उपलब्ध होती है।
12. महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (MSSC)
यह योजना 2023 में शुरू हुई थी और मार्च 2025 तक नए खाते खोले जा सकते थे। महिलाएँ इसमें ₹2 लाख तक जमा कर 7.5% ब्याज पा सकती थीं।
👉 यह योजना महिलाओं की बचत और वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए थी। इसका फायदा खासतौर पर गृहिणियों और छोटे निवेश करने वाली महिलाओं को मिला। यह योजना महिलाओं को सुरक्षित निवेश का भरोसा देती है और भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
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13. महिला कोयर योजना
यह योजना तटीय क्षेत्रों की महिलाओं को कोयर उद्योग से जोड़ने के लिए है। इसमें उन्हें प्रशिक्षण, टूल्स और वित्तीय सहायता दी जाती है।
👉 महिलाएँ इससे रस्सी, मैट, मैट्रेस और सजावटी सामान बना सकती हैं और बेच सकती हैं। यह योजना ग्रामीण और समुद्री इलाकों की महिलाओं के लिए कमाई का स्थायी साधन बन चुकी है। इससे महिलाएँ स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर बेहतर आमदनी कर पा रही हैं।
निष्कर्ष– Mahila Rojgar Yojana
महिला रोजगार योजना का उद्देश्य महिलाओं को रोजगार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना है। इन योजनाओं से महिलाएँ अब घर की चारदीवारी से निकलकर उद्यमिता और रोजगार की दुनिया में कदम रख रही हैं। यह न केवल उनकी जिंदगी बदल रहा है बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी अहम योगदान दे रहा है। आने वाले वर्षों में महिला रोजगार योजनाएँ भारत को वास्तव में आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनाने में बड़ी भूमिका निभाएँगी।